Latest Shayari

वनराज नैतिक कहानी || Hindi kahani 2021

वनराज नैतिक कहानी || Hindi kahani 2021


वनराज नैतिक कहानी

वनराज नैतिक कहानी || Hindi kahani,एक वन की है बात, बुरा दिन बद्तर रात।,साहसी सिंह सम्राट समझ स्वयं ,2021,bestshayriquotes15.com, hindi kahani
वनराज नैतिक कहानी


एक वन की है बात,

बुरा दिन बद्तर रात।


साहसी सिंह सम्राट समझ स्वयं को,

भ्रम रख हृदय में निकला था भ्रमण को।

मिले जो भी वनचर सिर झुकाए खड़े रहे,

अभिमानी सिंह भी अभिमान में अड़े रहे।


एक उल्लू बैठ डाल पर, पदचाप का श्रवण कर,

कुछ सम्मान देता है न, सिंह के आगमन पर।

“क्यों रे उल्लू, तुझको क्या प्राण का न मोह है,

क्या मैं समझूं यह, मेरे विरुद्ध विद्रोह है?”


सिंह ये जब बोला,

जो क्रोध-धागा खोला।


उत्तर में उल्लू ने उत्तर यह दिया,

“कदापि नहीं मैंने, कभी आप से वफा किया,

वनराज तो गजराज हैं,

उनका ही यहां राज है।

जब कर आओ तुम परास्त उनको,

तब मानूंगा मैं वनराज तुमको।”


क्रोध की सीमा, तब सिंह की पार हुई,

सीधा गज-निवास तक, उसकी रफ्तार हुई।

“बाहर निकल गज, यह काल की पुकार है,

सुने सभी समाज आज, हस्ति का शिकार है।”


सुन सिंह की दहाड़ को,

बोला देह से पहाड़ वो।


“क्या हुआ वनराज, क्यों रुष्ट हो इतने,

क्यों आए हो तुम, मुझसे यहां जीतने?”

“मेरे विरुद्ध विद्रोह हुआ तुम्हारे कारण,

आज उसी दुविधा का करूंगा निवारण।”


“न मेरी तुमसे, है कोई शत्रुता,

मानता हूं मैं, यहां तुम्हारी प्रभुता।”

“परंतु बिना किए गज-वध आज,

न मानेगा मुझको, वनराज यह समाज।”


इतना कहते ही सिंह ने किया गज पर आघात,

उत्तर में गज ने भी, चला दी लात।

जैसे ही सिंह, गज-पद नीचे आया,

तत्काल ही उसने, निज प्राण गँवाया।


नम्रता को निर्बलता, समझने की भूल कभी,

जीवन में न, दोहराना आप सभी।


वनराज नैतिक कहानी || Hindi kahani 2021


और भी पढ़ें :


No comments

Thank you 🥀💯